अध्याय 431 पेट्रीसिया का साक्षी

पेट्रीसिया ने भीड़ पर एक मौन व्यंग्यात्मक नज़र डाली, उसकी नज़रें दर्शकों पर घूमती हुई जेरेमी पर ठहर गईं।

कैमरा ज़ूम इन करके जेरेमी की भावनाओं की तीव्रता को पकड़ रहा था - गुस्सा, निराशा और दिल टूटना, अब बड़े पर्दे पर उच्च-परिभाषा में दिख रहा था।

कमरे में सभी की निगाहें, कोच परिवार सहित, जेरेमी पर ट...

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